National Youth Day 2025: हर साल 12 जनवरी को भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। ये दिन भारत के युवाओं व नौजवानों को समर्पित ख़ास दिन है। युवा देश के भविष्य को बेहतर और स्वस्थ बनाने का माध्यम है। युवाओं को प्रेरित करने और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। हालाकि युवा दिवस 12 जनवरी को मनाने की ख़ास वजह है। यह दिन स्वामी विवेकानन्द से जुड़ा हुआ है। स्वामी विवेकानंद को भारत के महान आध्यात्मिक गुरु और विचारक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने युवाओं को राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित किया। विवेकानंद के विचार और आदर्श आज भी प्रासंगिक है। और लाखों युवाओं को दिशा देते है। आइये आगे देखते है।
राष्ट्रीय युवा दिवस 2025 थीम
राष्ट्रीय युवा दिवस 2025 का उत्सव “उठो , जागो और अपनी शक्ति को पहचानो” की थीम के साथ मनाया जाएगा और इससे लोगो को देश के युवाओं पर अधिक ध्यान देने, उनकी चुनौतियों का समाधान करने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता को समझने में मदद मिलेगी कि वे बदलाव लाने के लिए सक्षम है।
राष्ट्रीय युवा दिवस का उद्देश्य
राष्ट्रीय युवा दिवस का मुख्य उद्देश्य स्वामी विवेकानंद के विचारों को युवाओं तक पहुँचाना और उन्हें समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए प्रेरित करना है। उनके आदर्श और विचार युवाओं में आत्मविश्वास , नेतृत्व क्षमता और राष्ट्रीय गौरव का संचार करते है। इस दिन विभिन्न कार्यक्रम जैसे संगोष्ठी , सेमिनार , निबंध लेखन , खेल प्रतियोगिताएं, और सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित की जाती है। इनका मक़सद युवाओं में नई ऊर्जा का संचार करना और उन्हें समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारियों का एहसास कराना है।
राष्ट्रीय युवा दिवस का महत्व
राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने की शुरुआत भारत सरकार ने 1984 में की थी। और तब से यह एक महत्वपूर्ण आयोजन रहा है। स्वामी विवेकानंद की जयंती पर राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने की घोषणा करते हुए भारत सरकार ने कहा कि “स्वामी विवेकानंद जी का दर्शन और उनके द्वारा जीए गए आदर्श भारतीय युवा दिवस के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत हो सकते है।”
स्वामी विवेकानंद के बारे में
स्वामी विवेकानंद का पूर्व – संन्यासी नाम नरेंद्र नाथ दत्ता था। उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता (पहले कलकत्ता) में हुआ था। और 4 जुलाई 1902 को उनकी मृत्यु हो गई। उनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्ता और उनकी माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था। वे एक संपन्न परिवार से थे। उनके पिता की युवावस्था में अचानक मृत्यु हो गई। और इससे उनके परिवार की आर्थिक कमर टूट गई और वे ग़रीबी में चले गए। एक अच्छे छात्र होने के बावजूद , वे बहुत लंबे समय तक नौकरी पाने में असफल रहे। वह घर- घर जाकर नौकरी मांगते थे लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिली। और इसलिए वे नास्तिक बन गए। उनके एक अंग्रेज़ी प्रोफ़ेसर ने उन्हें श्री रामकृष्ण परमहंस नाम से परिचित कराया और 1881 में वे दक्षिणेश्वर के काली मंदिर में श्री रामकृष्ण परमहंस से मिले और संत रामकृष्ण के शिष्य बन गए। उन्होंने पश्चिमी दुनिया को वेदांत और योग के भारतीय दर्शन से परिचित कराया। वे भारत के प्रति अत्यधिक देशभक्त थे और अपने देश के दर्शन में उनके योगदान के लिए उन्हें नायक माना जाता है। उन्होंने भारत में व्यापक ग़रीबी की ओर भी ध्यान आकर्षित किया और देश के विकास के लिए ग़रीबी के मुद्दों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। उन्हें 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में दिए गए अपने भाषण के लिए सबसे ज़्यादा जाना जाता है। जब उन्होंने अपना भाषण अमेरिका के बहनों और भाइयो ..… “कहकर शुरू किया और उन्होंने भारत की संस्कृति , इसके महत्व , हिंदू धर्म आदि का परिचय दिया।
इसीलिए , स्वामी विवेकानंद ज्ञान और आस्था के प्रतीक , सच्चे दार्शनिक है। जिनकी शिक्षाओं ने न केवल युवाओं को प्रेरित किया। बल्कि देश के विकास का मार्ग भी प्रशस्त किया। इसीलिए 12 जनवरी में हर सक हर्ष और उत्साह के साथ राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।