Christmas Day 2024: हर साल कब मनाया जाता है और क्यों जाने पूरी जानकारी!

Christmas Day 2024: ये तो ईसाई धर्म का त्योहार है। लेकिन सभी धर्म और संस्कृति के लोग इस पर्व को बेहद उत्साह के साथ मनाते है।  इस पर्व को सभी देशो में 25 दिसंबर को मनाया जाता है। ऐसे में यह जानना ज़रूरी हो जाता है। ऐसे में यह जानना ज़रूरी हो जाता है। की आख़िर 25 दिसंबर को ही क्रिसमस क्यों मनाया जाता है। आइये जानते है। की ऐसा क्यों होता  है।

दुनिया भर में हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। बच्चों को तो ख़ासतौर पर क्रिसमस के दिन अपने सांता क्लॉज से मिलने वाले  चॉकलेट्स और गिफ्ट्स का इंतज़ार रहता है। बता दें। यह ईसाई धर्म के संस्थापक प्रभु यीशु के जन्म दिवस के रूप  में मनाया जाता है। क्रिसमस के दिन अपने घरों को खूबसूरत लाइट्स , कैंडल और क्रिसमस ट्री से सजाते है। इस दिन ईसाई  धर्म के लोग चर्च जाकर प्रार्थना करते है।  जहां चर्च होता है वहाँ मेला भी लगता है। और मेले में लोग घूमने भी आते है। जिसके बाद क्रिसमस का जश्न मनाने के लिए लोग घरों में केक बनाकर काटते है। और परिवार और दोस्तों को मुँह मीठा करवाते है। यू तो क्रिसमस ईसाई धर्म का त्योहार है। लेकिन सभी धर्म और संस्कृति के लोग इस पर्व को बेहद  उत्साह के साथ मनाते है। आइए आगे जानते है।

क्रिसमस का इतिहास और विकास

अमेरिका में 1820 के दशक में वाशिंगटन इवरिंग की कहानियो से क्रिसमस का उत्साह फिर से जागा। इवरिंग की कहानियाँ इंग्लैड की पारंपरिक क्रिसमस की घटनाओं पर आधारित थी।1822 में  क्लेमेंट  क्लार्क  मूर  ने  “A Visit from St.Nicholas “ (जिसे  “Twas the Night Before Christmas” के  नाम  से  भी  जाना  जाता  है)  लिखी  ,  जिससे  उपहार  देने  की  परंपरा  को  बढ़ावा  मिला।  1850  में  हैरिएट  बीचर  स्टोव  ने  अपनी  किताब  में  सॉपिंग  के  कारण  किसमस  के  वास्तविक  अर्थ  के  खोने  की  बात  की

1860 तक,  अपमेरिका  के  कई  राज्यो  में  क्रिसमस  को  एक  क़ानूनी  छुट्टी  के  रूप  में  अपनाया  गया  था।  1870  में  क्रिसमस  को  अमेरिका  में  एक  संघीय  छुट्टी  घोषित  किया  गया।

20वी  शताब्दी  में , विश्व  युद्ध  के  दौरान  1914  में  युद्धरत  सैनिकों  के  बीच  अनौपचारिक  क्रिसमस  ट्रूसेस  (सीधी  बात  चीत  और  उपहारों  का  आदान – प्रदान)  हुआ ,  जो  मानवता  का  प्रतीक  बन   गया।  सोवियत  संघ  में  क्रिसमस  उत्सवों  पर  प्रतिबंध  था,  जो  1991  में  ख़त्म  हुआ।

आजकल  क्रिसमस  दुनिया  भर  में  मनाया  जाता  है।  भले  ही  वहाँ  की  आबादी  मुख्य  रूप  से  ईसाई  न  हो।  जापान  और  तुर्क़ी  जैसे  देशों  में  क्रिसमस  की  संस्कृति  को  अपनाया  गया  है।  जैसे  की  उपहार  देना,  सजावट  और  क्रिसमस  ट्री।  कई  ग़ैर – ईसाई  परंपराएँ  भी  क्रिसमस  उत्सव  में  शामिल  हो  गई  है।

क्रिसमस  एक  धार्मिक  उत्सव  के  रूप  में चर्च  सेवा  में  भाग  लेने  के  साथ  मनाया  जाता  है।  जो  ईसाई  समुदाय  के  लिए  विशेष  रूप  से  महत्वपूर्ण  होता  है।

परम्पराए  और  रीति-रिवाज

  • सजावट :  क्रिसमस  ट्री ,  रोशनी ,  और मोजे  सजाए  जाते  है।
  • उपहार:  सांता  क्लॉज  और  सेंट  निकोलस  जैसे  पात्रों   द्वारा  बच्चों  को  उपहार  दिए  जाते  है।
  • धार्मिक  अनुष्ठान : चर्च  में  प्रार्थनाएँ  और  मिडनाइट  मास  आयोजित  की  जाती  है।
  • भोजन : विशेष  भोज,  मिठाइयाँ , और  केक  तैयार  किए  जाते  है।
  • सांस्कृतिक  गतिविधियाँ :  क्रिसमस  कैरोल्स , नाटकों  और  फ़िल्मो  का  आयोजन  होता  है।
  • मिडनाइट  मास:  24 दिसंबर  की  रात  को  गिरजाघरो    में  विशेष  प्रार्थना  सभा  आयोजित  की  जाती  है।

क्रिसमस  डे  मनाने  के  पीछे  की  कहानी

ईसाई  धर्म  की  मान्यता  के  अनुसार  प्रभु  यीशु  मसीह  का  जन्म  25 दिसंबर  को  हुआ  था।  माना  जाता  है।  की  मरियम  को  एक  सपना  आया  था।  जिसमें  उनके  प्रभु  के  पुत्र  यीशु  को  जन्म  देने  की  भविष्यवाणी  कि  गई  थी।  एक  बार  शादी  के  बाद  मरियम  और  यूसुफ़  को  बेथलहम  जाना  पड़ा।  लेकिन  उन्हें  वहाँ  कही  रहने  के  लिए  जगह  नहीं  मिली।  देर  रात  होने  की  वजह  से  मरियम  को  बेथलहम  में  ही  रुकना  पड़ा।  लेकिन  वहां  रुकने  के  लिए  ठीक  जगह  नहीं  मिलने  के  कारण  उन्होंने  एक  गौशाला  में  रुकने  का  फ़ैसला  किया जहां  मरियम  ने  प्रभु  यीशु  को  जन्म diya

Leave a Comment